Mahesh Mishra

Mahesh Mishra is a Founder of Arth Enterprises. Arth Enterprises owned 30+ Website & Apps. \

Wednesday, March 4, 2020

earn with your mind not your time

Naval Ravikant

नवल रविकांत की ये लाइन बहोत कुछ कहती है।

कमाई, अपने दिमाग से कीजिये न की अपने समय से। - नवल रविकांत 

ये शब्द पढ़ते ही मुझे मेरी एक कहानी याद आयी जो आज मैं आप लोगों के साथ शेयर करना चाहूंगा।

ये कहानी ४ साल पुरानी हैं।

मीना जो मुंबई की झोपड़पट्टी में अपने परिवार के साथ रहती थी। मीना सरकारी स्कुल की ८ वी क्लास में पढ़ती थी। और वो इस बात से दुखी थी की उसे ज्यादा समय अपने परिवार के साथ बिताने नहीं मिलता है और उसके ऊपर उसके छोटे भाई और बहन की जिम्मेदारी है।

मीना की माँ बिल्डिंग में कुछ घरों में घरकाम करती है और उसके पिताजी दूर दूसरी बिल्डिंग में चौकीदारी करते है। पिताजी शाम को ७ बजे घर से जाते और दूसरी सुबह ९ बजे घर आते और खाना खा के सो जाते शाम को फिर तैयार हो के अपने काम पर चले जाते।

और माँ भी सुबह से शाम तक दूसरों के घर के काम करने में व्यस्त रहती थी।

मीना छोटे से अपने घर में अपने भाई-बहन का ख्याल रखती और अपनी पढ़ाई करती।  एक दिन मीना ने अपनी माँ से पूछ लिया "माँ, क्या हम पूरी जिंदगी ऐसे ही जियेंगे?"

ये सवाल सुनते ही माँ ने मुस्कुराते हुए मीना को देखा और पूछा "क्यों, क्या हुआ है? सब ठीक ही तो चल रहा है। "

"नहीं, कुछ ठीक नहीं चल रहा है। मेरे सभी दोस्त हर रविवार अपने परिवार के साथ कही ना कही घूमने जाते है पर हम कभी भी कही नहीं गए। और मैं पूरा दिन घर पर अकेली ही भाई-बहन के साथ रहती हूँ। मुझे यह पसंद नहीं। "

"मीना, अगर मैं और तुम्हारे पिताजी काम पर नहीं जायेंगे तो हमारे घर का खर्च कैसे चलेगा ?" माँ ने कहा।

"माँ, क्या हम सब मिलकर कोई ऐसा काम नहीं कर सकते जिससे हमारा घर खर्च भी चले और हम सब एक साथ ज्यादा वक़्त साथ रह सके?" मीना ने माँ से पूछा।

"नहीं, क्योंकि मैं और तेरे पिताजी तो अनपढ़ है हमें कोई और काम नहीं मिलेगा और हमें दूसरा कोई काम आता भी नहीं है तो हम क्या कर सकते है। " माँ ने मीना से कहा।

"ठीक है माँ, पर मुझे लगता है हमें कुछ नया काम करना चाहिए। " मीना ने माँ से कहा।

कुछ दिनों तक मीना ने आस-पास नए काम की तलाश करती रही पर बच्ची होने की वजह से उसे कोई काम नहीं मिला।

पर एक दिन उसने एक फ़ूड स्टाल के यहाँ थोड़ा वक़्त खड़े रह कर देखा की यहाँ पर बहोत लोग खाना खाने के लिए रुक रहे है तो क्यों ना मैं और माँ भी खाना बनाने का काम शुरू करे ? मीना ने सोचा।

मीना ने पूरा किस्सा माँ को बताया, और कहा- माँ, आप अच्छा खाना बनाती हो तो क्यों न हम खाना खिलाने का ही काम करे।

पर हमारे पास पैसे कहा है ? - माँ ने कहा।

हम छोटी सुरुवात कर के काम सुरु कर सकते है। हमारे आस-पास तो बहोत लोगो को खाना चाहिए होता हैं।

पांच हजार रुपये से मीना ने अपनी माँ के साथ मिल कर खाने का बिज़नेस सुरु किया।  बहोत तकलीफो के बाद उनका बिज़नेस अच्छे से चलने लगा। और एक के बाद एक मीना ने अपने परिवार के साथ मिलकर और भी जगह पर खाने  का बिज़नेस सुरु किया।

इस तरह मीना ने अपने परिवार की किस्मत बदल दी।

कमाई, अपने दिमाग से कीजिये न की अपने समय से।

आप को अगर ये कहानी पसंद आये तो अपनों के साथ जरूर शेयर करें।

धन्यवाद।





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Tuesday, March 3, 2020

आय (Income Source) बढ़ाने पर ध्यान दे न की बचत (Saving) पर।

लोग अक्सर कहते है अगर आप बचत नहीं करोगे तो आपका भविष्य ख़राब होगा।

माफ़  कीजिये, पर मुझे ऐसा बिलकुल नहीं लगता।

आप बचत (Saving) कीजिये ये बहोत जरुरी है मगर अपनी आय के साधन (Income Source) भी बढ़ाये।

आप जॉब करते है या कोई बिज़नेस करते हैं। आप हर महीने एक तय रकम अपने घर ला रहे हैं और उसमे से थोड़ी बहोत बचत कर रहे है।

पर क्या आप खुश है ?

यकीन मानिये आप सबका उत्तर "नहीं " ही होगा।

क्योकि हम सब जानते है पैसे हमेशा कम ही लगते हैं।


चलिए समझते है - अगर आप हर महीने लगभग ५० हजार कमाते है और सब ख़र्चे पकड़ ले मतलब बच्चों की स्कूल फीस, घर के ख़र्चे और बाकि तरह के सभी खर्चे पकड़ के आप हर महीने ४० हजार खर्च करते है और १० हजार की बचत करते हैं।  मतलब आप हर महीने अपनी आय का २० प्रतिशत बचते है जो की बहोत ठीक भी लगता है।

पर क्या यह सच में होता है ? क्या आप सच में बहोत पैसे बचाते है?

आय बढ़ाने के लिए आप क्या कर सकते है, यह आप सोचिये की आप के आस-पास आपकी आय बढ़ाने (Income Source) के कौन-कौन से साधन उपलब्ध है ?

उदाहरण के लिए बताता हूँ - मेरे बगल में एक अंकल है जो नाईट शिफ्ट में चौकीदारी करते है शाम ७ बजे से सुबह ७ बजे तक। जिसमे उन्हें ८ हजार महीने के मिलते है।  ये अंकल का परिवार उत्तर प्रदेश में है और ये यहाँ अकेले ही अपने दोस्तों के साथ रहते है जहाँ पर वो हर महीने १५०० रुपये किराया देते है।

यहाँ तक सब ठीक ही है ना दोस्तों ?

अब सुनिए उनकी पूरी दिन-चर्या।

ये चौकीदारी के साथ साथ उसी बिल्डिंग के ४ कुत्तो को सुबह ७.३० से ८.३० और शाम को ५ बजे से ६ बजे तक सैर कराते है और यहाँ से उन्हें पुरे ६ हजार रुपये मिलते है। और साथ ही उसी बिल्डिंग के ३ ऑफिस में साफ-सफाई का काम करते है और वहा से उन्हें ३ हजार रुपये मिलते है।


वो घर पर सुबह १० बजे से दोपहर ३ बजे तक आराम करना और खुद खाना बनाकर खाना खाने का काम करते है।

और दोपहर को एक वकील साहब के यहाँ १ घंटे के लिए साफ-सफाई करने जाते है। जहा से उन्हें १२०० रूपये मिलते हैं। इस तरह वो हर महीने १८२०० रुपये कमाते है।

और वो बहोत से लोगो की मदद भी करते है जिससे खुश हो कर लोग अपनी ख़ुशी से उन्हें पैसे, कपड़े और कभी कभी कुछ सामन भी देते है।

एक बात बताना भूल गया वो चौकीदार अंकल अनपढ़ है उनके माता-पिता ने उन्हें स्कूल नहीं भेजा पर उन्होंने अपने तीनों बच्चों को बहोत अच्छे से पढ़ा रहे हैं।

अगर वो चाहते तो एक ही काम से खुश रह सकते थे खुद की तरह ही अपने बच्चों को भी अनपढ़ रख सकते थे मगर उन्होंने अपनी आय बढ़ाई और अपना और अपने बच्चों का भविष्य बेहतर बनाने की कोशिश की।

इसीलिए आय के साधन बढ़ाये ताकि खुशियाँ खरीदी जा सके।

अगर आप को मेरा यह काम पसंद आया तो अपने परिवार और दोस्तों तक यह बात पहुँचाये।

आप सभी का धन्यवाद।

Please Like & Share with your Family & Friends,

Thank You.










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Monday, February 24, 2020

नौकरी के साथ करने लायक 30 व्यापार


नौकरी के साथ करने लायक 30 व्यापार की सूची बता रहा हूँ
  1. LIC जैसे बीमा कंपनी में बीमा एजेंट बन सकते हैं।
  2. म्यूच्यूअल फण्ड डिस्ट्रीब्यूटर बन सकते हैं।
  3. टैक्स फाइलिंग सीख कर लोगों के लिए टैक्स फाइलिंग सस्ते में कर सकते हैं।
  4. अमेज़न, फ्लिपकार्ट जैसी इ-कॉमर्स कंपनियों के साथ विक्रेता बन सकते हैं, और जो चीज़ आपको अपने शहर में सस्ते में मिले, उसे 20–30% मार्जिन रखकर ऑनलाइन बेच सकते हैं।
  5. सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर बन सकते हैं । इंस्टाग्राम, फेसबुक और ट्विटर पे अपने पसंद के विषय पर एक पेज बना कर उसमे पोस्ट करते हुए फॉलोवर्स बढ़ाइए, और कुछ समय बाद रोज़ पैसे कमाने का जरिया मिल जायेगा।
  6. एक गाडी खरीद लीजिये। ऑफिस जाने से पहले और ऑफिस से छुट्टी होने के बाद 3–4 घंटे अगर गाड़ी को ओला या उबेर से जुड़कर चलाते हैं तो गाड़ी की EMI निकलने के बाद आपके जेब में 10–15 हज़ार रुपये और बच जायेंगे।
  7. अगर गाड़ी चलानी नहीं आती तो बहुत सी कंपनियां हैं जिन्हे गाड़ियों की जरूरत होती है, जैसे रेलवे, रियल एस्टेट कंपनी, हॉस्पिटल, सरकारी दफ्तर इत्यादि, गाड़ी खरीदकर वहाँ लगा सकते हैं और महीने महीने भाड़ा कमा सकते हैं।
  8. स्टैंडअप कॉमेडियन बन सकते हैं। बैंगलोर और मुंबई जैसे शहर में कई लोग हैं जो नौकरी के साथ साथ अलग अलग क्लब में स्टैंडअप कॉमेडी करके पैसे कमाते हैं और वैकल्पिक करियर बनाते हैं।
  9. बच्चों को टयुशन पढ़ा सकते हैं, घर पर नहीं तो किसी कोचिंग इंस्टिट्यूट के साथ जुड़कर वीकेंड में पढ़ा सकते हैं।
  10. लैपटॉप और मोबाइल की रिपेयरिंग सीख कर इस से जुड़ा व्यापार कर सकते हैं।
  11. रियल एस्टेट एजेंट बन सकते हैं।
  12. फ़ूड फेयर में वीकेंड में मोमो या चाट का स्टाल लगाकर पैसे कमा सकते हैं।
  13. घर या फ्लैट खरीदकर उसको हॉस्टल या पीजी जैसा कुछ बना सकते हैं।
  14. किसी और का घर भाड़े पर लेकर उसको हॉस्टल या गेस्ट हाउस बना सकते हैं।
  15. गिटार या तबला सीख कर, एक साल अभ्यास करने के बाद जब आप खुद मास्टर बन जाएँ, तब गिटार और तबला सिखाने की ट्रेनिंग देकर पैसे कमा सकते हैं।
  16. फिजियोथेरेपी सीखकर घर से ही शाम को क्लिनिक जैसा चला सकते हैं।
  17. घर में ही एक लांड्री खोल सकते हैं, इसके लिए चाहिए 1–2 सेकंड हैंड वाशिंग मशीन और ड्रायर। हॉस्टल और फ्लैट्स में जहां विद्यार्थी और बैचलर्स रहते हैं, उनके कपड़े लांड्री करके पैसे कमा सकते हैं।
  18. जोमाटो और उबेर इट्स जैसे प्लेटफार्म पर छोटे मोठे ढाबे लिस्ट नहीं होते। आप किसी ढाबे से साझेदारी कर लीजिये जो आपको सस्ते में वेज थाली, चिकन थाली, बिरयानी इत्यादि दे सके। आप बस अपना एक ब्रांड बनाइये और उसका मेनू बनाकर जोमाटो पर लिस्ट कर दीजिये। जैसे जैसे डिनर के आर्डर आएंगे, आप ढाबे से खाना पैक करके अपने ब्रांड के पैकिंग में लोगों तक पहुंचा दीजिये। इसके लिए ना आपको कुक चाहिए और ना ही कोई स्टाफ। ऑफिस से आने के बाद भी यह काम किया जा सकता है।
  19. एंड्राइड एप्प बनाना सीख लीजिये। वेब डिजाइनिंग का ज़माना गया, अब लोग एंड्राइड एप्प बनवा रहे हैं।
  20. डिजिटल मार्केटिंग का सिर्फ 3 महीने का कोर्स होता है, यह कोर्स करके आप डिजिटल मार्केटिंग से जुड़ा कोई व्यापार कर सकते हैं।
  21. टेम्पो या मिनी ट्रक खरीदकर इसे किसी कंस्ट्रक्शन कंपनी को भाड़े पे सकते हैं।
  22. ऑनलाइन पोकर और रमी खेल सकते हैं।
  23. शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग कर सकते हैं।
  24. अपने मनपसंद विषय पर वीडियो बनाकर यूट्यूब चैनल बना सकते हैं।
  25. रद्दी का व्यापार कर सकते हैं। शाम को लोग आपके घर पर आकर रद्दी दे सकते हैं जिसके बदले आप उन्हें रद्दी वालों से ज्यादा पैसे दे सकते हैं। फिर रद्दी को आप आगे स्क्रैप डीलिंग कंपनियों को बेच सकते हैं।
  26. लोगों को सुबह सुबह योग सीखा सकते हैं, आजकल इसकी बहुत ज्यादा demand है। बस ऑफिस जाने से पहले दिन में २ घंटे लोगों को योग सिखाना है।
  27. एमवे जैसी नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी से जुड़ सकते हैं।
  28. नगर पालिका और पास के पुलिस थाने से इजाज़त लेकर आप घर से ही एक ऐसा एक छोटा सा खाने पीने का व्यापार कर सकते हैं। रात में जब साड़ी दुकानें बंद हो जाती है, तब आपके आउटलेट से लोग केक, बिस्कुट, कोल्ड ड्रिंक, सिगरेट, चिप्स इत्यादि लेने आएंगे। पूरी रात खोलने की जरूरत नहीं है। 11 बजे से 2 या 3 बजे तक काफी है।
  29. ऑफिस ख़तम होने के बाद आप किसी कॉल सेंटर के बाहर चाय और कॉफ़ी की छोटी सी मशीन लगाकर नाईट शिफ्ट में काम कर रहे लोगों को चाय कॉफ़ी पीला कर भी पैसे कमा सकते हैं।
  30. एडिटिंग (वीडियो एडिटिंग, साउंड इंजीनियरिंग, लोगो डिजाइनिंग, फोटोशॉप इत्यादी) का कोर्स करके आप नौकरी के साथ साथ इस से जुड़ा व्यापार कर सकते हैं।
जो भी काम करना है, रोग मुक्त होकर करना है। अरे वही सबसे बड़ा वाला रोग, 'क्या कहेंगे लोग'। इस रोग को बाजू में रखकर काम करना है। क्या पता कोई काम इतना बड़ा बन जाए की नौकरी ही करने की जरूरत ना पड़े।

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Thursday, February 6, 2020

वक्त बदलते वक्त नहीं लगता



हरियाणा के यमुनानगर जिले में दामला गाँव के निवासी धर्मबीर कम्बोज जो एक रिक्शाचालक थे और उन्होंने अथक परिश्रम करते हुए एक नया मुकाम हासिल किया जिन्हें देखकर कोई भी प्रेरित हो सकता…
भयंकर आर्थिक तंगी में बीते बचपन से जब धर्मबीर ने युवावस्था में कदम रखा और आटा पीसने से लेकर सरसों का तेल बेचने तक जो भी काम मिला उसे बड़ी हिम्मत से करते गये। विवाह हुआ तो कंधे पर बोझ और बढ़ गया। ऐसा लगने लगा के गाँव में रह कर दो वक्त की रोटी कमाना भी नामुमकिन है। गुज़र बसर के लिये दिल्ली जाने का कार्यक्रम बना। धर्मवीर बताते हैं के जब वह दिल्ली के लिये घर से निकले तो उनकी नवजात बिटिया केवल 3 दिनों की थी। जेब में कुल 70 रुपये थे जिसमें से 35 रुपये किराये में खर्च हो गये। कड़ाके की ठंड में दिल्ली पहुंचे और रोज़गार के लिये इधर उधर भटकना शुरू कर दिया। किसी की सलाह पर एक रिक्शा किराये पर ले लिया और दिन रात रिक्शा चलाना शुरू कर दिया।
एक दिन रिक्शा चलाते हुये किसी वाहन की चपेट में आ गये और ना चाहते हुये भी गाँव वापिस लौटने का निर्णय लेना पड़ा।
गाँव लौटे तो पैतृक ज़मीन पर खेती शुरू कर दी। पारम्परिक अनाज की खेती न करके सब्ज़ियाँ उगानी शुरू कर दी।मशरूम और स्ट्रॉबेरी की फसल लगाई तो कई गुणा मुनाफा हुआ। इसी बीच एक बार किसानों के एक समूह के साथ उन्हें राजस्थान के पुष्कर जाने का मौका मिला। सेल्फ-हेल्प ग्रुप से जुड़ी महिलाएँ खुद गुलाबजल बना रही हैं। वहां उन्होंने महिलाओं को आंवले के लड्डू भी बनाते देखा।
उन्हें समझ में आया कि कोई भी सब्ज़ी, फल, फूल आदि की खेती में फायदा तब है जब किसान अपनी उपज को सीधे बाज़ार में बेचने की बजाय उसकी प्रोसेसिंग करके और प्रोडक्ट्स बनाकर बेचे।
बचपन में धर्मबीर पढ़ाई में तो बढ़िया नहीं थे लेकिन जुगाड़ से छोटी-मोटी मशीन बनाने का शौक रखते थे।युवावस्था में कॉम्पोनेंट्स को जोड़ कर हीटर बनाकर बेच चुके थे। मशीनरी से उन्हें प्यार था। धर्मबीर ने एक ऐसी मशीन बनाने की ठान ली जिससे एलोवेरा, आंवला, तुलसी, आम, अमरुद आदि को प्रोसेस किया जा सके।
कुल 20,000 की लागत और 8 महीने के अथक परिश्रम और इनोवेशन की बदौलत इस रिक्शा चालक ने एक प्रोसेसिंग मशीन तैयार कर दी।
मशीन में 400 लीटर का ड्रम है जिसमें 1 घंटे में 200 लीटर एलोवेरा प्रोसेस कर सकते हैं। साथ ही इसी मशीन में आप कच्चे मटेरियल को गर्म भी कर सकते हैं। इस मशीन की एक ख़ासियत यह भी है कि इसे आसानी से कहीं भी लाया-ले जाया सकता है। यह मशीन सिंगल फेज मोटर पर चलती है और इसकी गति को नियंत्रित किया जा सकता है।
धर्मबीर ने इस मशीन को अपने खेत पर रखकर फार्म फ्रेश प्रोडक्ट बनाना शुरू किया। उन्होंने अपने खेत में उगने वाले एलोवेरा और अन्य कुछ सब्ज़ियों को सीधा प्रोसेस करके, उनके जैल, ज्यूस, कैंडी, जैम आदि प्रोडक्ट बनाकर बेचना शुरू कर दिया। एक फाउंडेशन की सहायता से धर्मबीर ने मशीन का 'पेटेंट' भी हासिल कर लिया।
इसी बीच साल 2009 में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन ने उनको मशीन के आविष्कार के लिये सम्मानित किया। इसके बाद उनके बारे में जब कई अख़बारों में छपा तो उन्हें मशीन के लिए पूरे देश से ऑर्डर आने शुरू हो गए। मशीन की प्रोडक्शन बढ़ाने के लिये एक लघु उद्योग लगा लिया गया।
कहते हैं ऊपर वाला जब देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है। मशीन की मशहूरी केवल भारत तक सीमित नहीं रही बल्कि मशीन देश के बाहर जापान, दक्षिण अफ्रीका, केन्या, नेपाल और नाईज़ीरिया जैसे देशों से भी ऑर्डर आने लगे।
धर्मबीर आज करोड़ों में कमा रहें हैं। कभी रिक्शा का हैंडल संभालने वाले हाथ आज गाड़ी का स्टीयरिंग संभाल रहे हैं। धर्मबीर आज भी उन दिनों को याद कर के सिहर उठते हैं जब दिल्ली की कड़कती सर्दी पर उन्हें फुटपाथ पर सोना पड़ता था।
परंतु आज हालात बदल चुके हैं। अपने सपनों के पीछे भागते इस रिक्शाचालक से उद्योगपति बने कर्मठ व्यक्ति ने आज एक अंतरराष्ट्रीय ब्रैंड को स्थापित कर दिया है।
पूरे जुनून और पूरी शिद्दत से सपनों के पीछे दौड़ते रहना चाहिये क्योंकि 'वक्त बदलते वक्त नहीं लगता'!
अगर आपको यह ब्लॉग अच्छा लगा तो अपने दोस्तों को साथ शेयर करे. धन्यवाद।

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करसन भाई पटेल

कभी घर-घर जाकर साइकिल से बेचता था सामान, ऐसे खड़ी की 5500 करोड़ की कंपनी
शून्‍य से शिखर तक का सफर तय करने वाले करसनभाई पटेल आज लगभग 5,500 करोड़ रुपए की कंपनी के मालिक हैं. अपने व्‍यावसायिक सफर में उन्‍होंने देसी तो छोड़ि‍ए, टॉप विदेशी कंपनियों के भी पसीने छुड़ा दिए.
आज मैं आपको एक ऐसे शख्‍स की कहानी बता रहा हूँ , जिसका बचपन गरीबी में बीता, लेकिन अपनी संकल्‍पशक्ति और बेजोड़ रणनीति के दम पर उन्‍होंने भारतीय कॉरपोरेट जगत में वह ऊंचाई हासिल की, जिसकी अधिकांश लोग बस कल्‍पना ही कर पाते हैं.
यह कहानी है- गुजरात के एक साधारण किसान परिवार में जन्‍मे करसन भाई पटेल की.

गरीबी के कारण उनकी औपचारिक शिक्षा कुछ खास नहीं हो पाई. हालांकि लगन के धनी पटेल ने केमिस्‍ट्री में बीएससी करके हालात को संभालने के लिए एक लैब टेक्‍नीशियन की नौकरी कर ली. लेकिन उन्‍हें जल्‍द यह बात समझ में आ गई कि महज नौकरी से कुछ होने वाला नहीं है.
बस क्‍या था, उन्‍होंने नौकरी के साथ शुरू कर दिया अपना बिजनेस.
पटेल ने अपने घर के पिछवाड़े में डिटरजेंट बनाना शुरू किया और उस पाउडर की पैकेजिंग वे हाथ से ही करते थे. फिर ऑफिस से आने के बाद उन्‍होंने साइकिल चलाकर और घर-घर जाकर उसे बेचना शुरू किया. उस समय निरमा डिटरजेंट पाउडर की कीमत उन्‍होंने 3 रुपए प्रति किलो रखी.
जल्‍द उनका प्रोडक्‍ट हिट हो गया और उन्‍होंने इसका ब्रांड नैम अपनी बेटी के नाम पर निरमा रखा. इसके तीन साल बाद  पटेल ने अपनी नौकरी छोड़ दी. जल्‍द निरमा ब्रांड गुजरात और महाराष्‍ट्र में काफी लोकप्रिय हो गया. आज इस ब्रांड के तहत कई सारी इकाइयां काम कर रही हैं, जिनमें काम करने वालों की संख्‍या 15 हजार से भी अधिक है.
पटेल ने 1969 में वाशिंग पाउडर निरमा शुरू किया. उस वक्त कुछ गिनी-चुनी विदेशी कंपनियां ही डिटर्जेंट बना रही थीं.
इन सबके बीच निरमा की लोकप्रियता इसलिए बढ़ी, क्‍योंकि उसने हर पैकेट पर कपड़े साफ नहीं होने पर पैसे वापस करने की गारंटी देनी शुरू की.
इससे लोगों में इस पाउडर के प्रति भरोसा बढ़ गया और वे आसानी से इसे खरीदने लगे. कम कीमत के कारण भी इसके विस्‍तार में मदद मिली.
बाजार के अन्‍य प्रोडक्‍ट्स की तुलना में इसकी कीमत को उन्‍होंने सोझ-समझकर रखा. जब बाजार का सबसे सस्ता वाशिंग पाउडर 13 रुपए प्रति किलो था, तब निरमा पाउडर तीन रुपए प्रति किलो बिक रहा था.
चूंकि लोगों की चाह होती है कि उन्हें सस्ती और अच्छी चीज मिले, पटेल का फार्मूला इस चाहत में फिट बैठ गया.
फोर्ब्स ‌के अनुसार, एक साल में आठ लाख टन निरमा डिटर्जेंट बिकता है.
1995 में पटेल ने अहमदाबाद में ‘निरमा इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी’ की स्थापना की. इसके बाद एक प्रबंधन संस्थान की भी स्थापना की गई. बाद में दोनों संस्थान ‘निरमा यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी’ के अंतर्गत आ गए.
आपका दिन शुभ हो ---और कोई सवाल हो तो टिप्पणी करें --धन्यवाद

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Wednesday, February 5, 2020

बिज़नेस की सफलता के ५ सकेंत

बिज़नेस स्टार्ट करते समय दिमाग में क्या रणनीति होनी चाहिए ?
1. स्पष्ट रणनीति।
अक्सर "जीनियस आइडिया" से शुरू किया गया बिज़नेस बदलना पड़ सकता है |थोड़ा बहुत बदलाव हर बिज़नेस में होता है | यदि 100% बिज़नेस रणनीति ही बदलनी पड़ रही है तो ये सही संकेत नहीं है |
जब हम बिज़नेस सुरु करते हैं तो एक स्पष्ट रणनीति हमारे दिमाग में होनी चाहिए। 
1- हम यह बिज़नेस करेंगे
2- हमारा प्रोडक्ट यह .......... हैं.
3-यह हमारे ग्राहक हैं
हर रोज जब हम हमारी रणनीति को चेक करते है और रणनीति में कोई बदलाव नहीं मिलता तो ये बिज़नेस के सफलता के संकेत हैं |
2. उपभोक्ता आपको पहले खोजे
यदि हमारा ग्राहक हमारे प्रोडक्ट या सर्विस के बारे में पूछताछ करता हुआ हमारे पास आये और वो खुश हो तो बिज़नेस के सफलता का दूसरा संकेत है |
3. सकारात्मक नकदी प्रवाह।
कम खर्च में अगर आप प्रॉफिट में आ रहे हो तो आपने खर्च करने की पुरानी समस्या का शुरुआती हल खोज लिया है, और आपका बिज़नेस मुनाफे में आ रहा है तो आप जिम्मेदारी से बढ़ने की स्थिति में हैं।तो बिज़नेस के सफलता का तीसरा संकेत है |
4. सही टीम सही जगह में।
बड़ा टर्नओवर एक निश्चित संकेत है कि आपकी कंपनी सही दिशा में है । इसका कारण है कि इसके पीछे सही पदों पर सही लोगों का होना , यह संकेत है कि आपकी कंपनी संपन्न है। नियमित रूप से अपनी टीम के सभी सदस्यों के साथ बैठक करें ।
यदि आपके कर्मचारी अपनी जीत साझा करें, और हार के बारे में ईमानदार रहें, पूछना और सुनना जारी रखें तो यह आपके बिज़नेस की सफलता का चौथा संकेत है |
5. क्यों पर ध्यान केंद्रित किया।
1-अपने ये बिज़नेस स्टार्ट क्यों किया
2-अपने यही प्रोडक्ट या सर्विस क्यों मार्किट में उतारा
3-ग्राहक क्यों आपके पास आएगा
यदि ये सारे क्यों स्पष्ट हैं तो यह बिज़नेस के सफलता का पांचवां संकेत है |
इरादे से ही सफलता बनती है। इसलिए इरादे मजबूत रखिये। 
आपका दिन शुभ हो ---और कोई सवाल हो तो टिप्पणी करें --धन्यवाद

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Tuesday, February 4, 2020

बिज़नेस क्यों करना चाहिए ??

एक बडी कंपनी के गेट के सामने एक प्रसिद्ध समोसे की दुकान थी, लंच टाइम मे अक्सर कंपनी के कर्मचारी वहाँ आकर समोसे खाया करते थे।
एक दिन कंपनी के एक मैनेजर समोसे खाते खाते समोसेवाले से मजाक के मूड मे आ गये।

मैनेजर साहब ने समोसेवाले से कहा, "यार गोपाल, तुम्हारी दुकान तुमने बहुत अच्छे से maintain की है, लेकीन क्या तुम्हे नही लगता के तुम अपना समय और टैलेंट समोसे बेचकर बर्बाद कर रहे हो.? सोचो अगर तुम मेरी तरह इस कंपनी मे काम कर रहे होते तो आज कहा होते.. हो सकता है शायद तुम भी आज मैंनेजर होते मेरी तरह.."
इस बात पर समोसेवाले गोपाल ने बडा सोचा, और बोला, " सर ये मेरा काम अापके काम से कही बेहतर है, 10 साल पहले जब मै टोकरी मे समोसे बेचता था तभी आपकी जाॅब लगी थी, तब मै महीना हजार रुपये कमाता था और आपकी पगार थी 10 हजार।
इन 10 सालो मे हम दोनो ने खूब मेहनत की..
आप सुपरवाइजर से मॅनेजर बन गये.
और मै टोकरी से इस प्रसिद्ध दुकान तक पहुँच गया.
आज आप महीना 50,000 कमाते है
और मै महीना 2,00,000
लेकिन इस बात के लिए मै मेरे काम को आपके काम से बेहतर नही कह रहा हूँ।
ये तो मै बच्चों के कारण कह रहा हूँ।
जरा सोचिए सर मैने तो बहुत कम कमाई पर धंधा शुरू किया था, मगर मेरे बेटे को यह सब नही झेलना पडेगा।
मेरी दुकान मेरे बेटे को मिलेगी, मैने जिंदगी मे जो मेहनत की है, वो उसका लाभ मेरे बच्चे उठाएंगे। जबकी आपकी जिंदगी भर की मेहनत का लाभ आपके मालिक के बच्चे उठाएंगे।

अब आपके बेटे को आप डाइरेक्टली अपनी पोस्ट पर तो नही बिठा सकते ना.. उसे भी आपकी ही तरह जीरो से शुरूआत करनी पडेगी.. और अपने कार्यकाल के अंत मे वही पहुच जाएगा जहाँ अभी आप हो।
जबकी मेरा बेटा बिजनेस को यहा से और आगे ले जाएगा..
और अपने कार्यकाल मे हम सबसे बहुत आगे निकल जाएगा..
अब आप ही बताइये किसका समय और टैलेंट बर्बाद हो रहा है ?"
मैनेजर साहब ने समोसेवाले को २ समोसे के २० रुपये दिये और बिना कुछ बोले वहाँ से खिसक लिये.......!!
दोस्तों क्या अब भी आप सोचेंगे सिर्फ जॉब करने का ??
छोटा ही सही पर खुद का कोई भी बिज़नेस सुरु कीजिये। 
अब तो लोग मोबाइल से ही लाखो रुपये कमा रहे है। 

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Wednesday, January 29, 2020

खुद का बिज़नेस सुरु करने के टिप्स

क्या आप अपने ९ से ६ बजे तक के जॉब से परेशान हो चुके हो ?? क्या आपको लगता है की अब खुद का कोई बिज़नेस सुरु करना चाहिए तो मैं आपको यहाँ कुछ टिप्स देना चाहूंगा।
विचार के साथ आना आसान हिस्सा है। यह जानना कठिन है कि कहां से शुरू करें। तो यहां अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं:


– एक बजट तैयार करें: क्या आपके पास इस विचार को लाने के लिए पर्याप्त पूंजी है? पहले चीजें, पहले यह पता लगा लें कि यह आपको सभी खर्चों सहित कितना खर्च करेगा, और यह पैसा कहां से आएगा। – क्या व्यावसायिक दुनिया को आपकी आवश्यकता है ?: क्या आपके उत्पाद की पर्याप्त मांग है? अपना व्यवसाय शुरू करने का प्रयास करने से पहले चारों ओर से पूछें – क्षेत्र में या देश के आसपास समान व्यवसायों के साथ जांचें। पता करें कि उन्होंने कैसे शुरू किया, और वे किस प्रकार के ग्राहकों को लक्षित करते हैं, जिससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आप बाज़ार में कहाँ फिट होंगे।

– एक मजबूत प्रबंधन टीम बनाएं: आपके टीम के सदस्यों को व्यवसाय की अपनी दृष्टि, और एक निश्चित मात्रा में अपनी काबियिलित और विश्वसनीयता साझा करनी चाहिए। नौकरियों के लिए सही लोगों को खोजने के लिए अपने कनेक्शन पर भरोसा करें जो व्यवसाय के लिए उनकी विशेषज्ञता लाएंगे। याद रखें कि आपको अंततः अपने अहंकार को अलग करना होगा और उन्हें कंपनी के कुछ पहलुओं को नियंत्रित करने देना होगा, इसलिए आपको अपनी प्रबंधन टीम के आसपास सहज महसूस करना होगा।
– छोटी शुरुआत करें: तुरंत अपने उत्पाद को एक साथ लाखो कंपनियों के बाजार में लाने की कोशिश करने के बजाय, कुछ दर्जन विशेष स्थानीय कंपनियों पर ध्यान केंद्रित करें। इस तरह आप उन्हें व्यक्तिगत रूप से कॉल कर सकते हैं, उन्हें अपनी मार्केटिंग सामग्री मेल कर सकते हैं, और फिर एक बैठक की व्यवस्था कर सकते हैं।
– गुणवत्ता के मामले: आपको अपने स्वयं के समान अन्य सभी व्यवसायों से अलग स्वयं को स्थापित करने में सक्षम होना चाहते हैं। अपने प्रोडक्ट और सर्विस की गुणवत्ता हमेशा अच्छी रखे जिससे आपकी कंपनी की छवि मार्किट में अच्छी हो।

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