Mahesh Mishra

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Wednesday, January 29, 2020

गुरु और शिष्य

एक राजा था. उसे पढने लिखने का बहुत शौक था. एक बार उसने मंत्री-परिषद् के माध्यम से अपने लिए एक शिक्षक की व्यवस्था की. शिक्षक राजा को पढ़ाने के लिए आने लगा. राजा को शिक्षा ग्रहण करते हुए कई महीने बीत गए, मगर राजा को कोई लाभ नहीं हुआ. गुरु तो रोज खूब मेहनत करता थे परन्तु राजा को उस शिक्षा का कोई फ़ायदा नहीं हो रहा था. राजा बड़ा परेशान, गुरु की प्रतिभा और योग्यता पर सवाल उठाना भी गलत था क्योंकि वो एक बहुत ही प्रसिद्द और योग्य गुरु थे. आखिर में एक दिन रानी ने राजा को सलाह दी कि राजन आप इस सवाल का जवाब गुरु जी से ही पूछ कर देखिये.
राजा ने एक दिन हिम्मत करके गुरूजी के सामने अपनी जिज्ञासा रखी, ” हे गुरुवर , क्षमा कीजियेगा , मैं कई महीनो से आपसे शिक्षा ग्रहण कर रहा हूँ पर मुझे इसका कोई लाभ नहीं हो रहा है. ऐसा क्यों है ?”
गुरु जी ने बड़े ही शांत स्वर में जवाब दिया, ” राजन इसका कारण बहुत ही सीधा सा है…”
” गुरुवर कृपा कर के आप शीघ्र इस प्रश्न का उत्तर दीजिये “, राजा ने विनती की.
गुरूजी ने कहा, “राजन बात बहुत छोटी है परन्तु आप अपने ‘बड़े’ होने के अहंकार के कारण इसे समझ नहीं पा रहे हैं और परेशान और दुखी हैं. माना कि आप एक बहुत बड़े राजा हैं. आप हर दृष्टि से मुझ से पद और प्रतिष्ठा में बड़े हैं परन्तु यहाँ पर आप का और मेरा रिश्ता एक गुरु और शिष्य का है. गुरु होने के नाते मेरा स्थान आपसे उच्च होना चाहिए, परन्तु आप स्वंय ऊँचे सिंहासन पर बैठते हैं और मुझे अपने से नीचे के आसन पर बैठाते हैं. बस यही एक कारण है जिससे आपको न तो कोई शिक्षा प्राप्त हो रही है और न ही कोई ज्ञान मिल रहा है. आपके राजा होने के कारण मैं आप से यह बात नहीं कह पा रहा था.
कल से अगर आप मुझे ऊँचे आसन पर बैठाएं और स्वंय नीचे बैठें तो कोई कारण नहीं कि आप शिक्षा प्राप्त न कर पायें.”
राजा की समझ में सारी बात आ गई और उसने तुरंत अपनी गलती को स्वीकारा और गुरुवर से उच्च शिक्षा प्राप्त की .

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जीभ बनिये, दांत नहीं

ऋषिकेश के एक प्रसिद्द महात्मा बहुत वृद्ध हो चले थे और उनका अंत निकट था . एक दिन उन्होंने सभी शिष्यों को बुलाया और कहा , ” प्रिय शिष्यों मेरा शरीर जीर्ण हो चुका है और अब मेरी आत्मा बार -बार मुझे इसे त्यागने को कह रही है , और मैंने निश्चय किया है कि आज के दिन जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर जाएगा तब मैं इहलोक त्याग दूंगा .”
गुरु की वाणी सुनते ही शिष्य घबड़ा गए , शोक -विलाप करने लगे , पर गुरु जी ने सबको शांत रहने और इस अटल सत्य को स्वीकारने के लिए कहा .
कुछ देर बाद जब सब चुप हो गए तो एक शिष्य ने पुछा , ” गुरु जी , क्या आप आज हमें कोई शिक्षा नहीं देंगे ?”
“अवश्य दूंगा “, गुरु जी बोले
” मेरे निकट आओ और मेरे मुख में देखो .”
एक शिष्य निकट गया और देखने लगा।
“बताओ , मेरे मुख में क्या दिखता है , जीभ या दांत ?”
“उसमे तो बस जीभ दिखाई दे रही है .”, शिष्य बोला
फिर गुरु जी ने पुछा , “अब बताओ दोनों में पहले कौन आया था ?”
“पहले तो जीभ ही आई थी .”, एक शिष्य बोला
“अच्छा दोनों में कठोर कौन था ?”, गुरु जी ने पुनः एक प्रश्न किया .
” जी , कठोर तो दांत ही था . ” , एक शिष्य बोला .
” दांत जीभ से कम आयु का और कठोर होते हुए भी उससे पहले ही चला गया , पर विनम्र व संवेदनशील जीभ अभी भी जीवित है … शिष्यों , इस जग का यही नियम है , जो क्रूर है , कठोर है और जिसे अपने ताकत या ज्ञान का घमंड है उसका जल्द ही विनाश हो जाता है अतः तुम सब जीभ की भांति सरल ,विनम्र व प्रेमपूर्ण बनो और इस धरा को अपने सत्कर्मों से सींचो , यही मेरा आखिरी सन्देश है .”, और इन्ही शब्दों के साथ गुरु जी परलोक सिधार गए .Face

खुद को बेहतर बनाने के टिप्स

लोग अक्सर दूसरों की कमी हमेशा देखते है पर क्या खुद पर कभी काम करते हैं? ऐसा क्यों होता है की लोगों को दूसरों की कमिया पता होती हैं पर खुद की कमिया देखना पसंद नहीं करते।
दूसरों को बेहतर बनाने से पहले आइए खुद को बेहतर बनाने पर काम करे।
खुद को बेहतर बनाने के टिप्स :
१) सबसे पहले अपने लक्ष्य को निर्धारित कीजिये : सबसे पहले हमें पता होना चाहिए की असलियत में हमें क्या चाहिए? अगर किसी मोटे इंसान को आप पूछूँगे तो वो यक़ीनन यही लक्ष्य बताएगा की उसे अपने शरीर पर काम कर के उसे पतला करना हैं।
उसी तरह किसी विद्यार्थी को पूछने पर उसका उत्तर होगा परीक्षा में अच्छे नंबर से पास होना जबकि किसी भी सेल्स एग्जीक्यूटिव का उत्तर होगा टारगेट पूरा करना।
इसीलिए सबसे पहले हमें अपना लक्ष्य लिखना होगा की हमें मेहनत क्यों करनी है ? तो चलिए अपना लक्ष्य लिख लीजिये।
२) टू – डू लिस्ट बनायें : टू – डू लिस्ट का मतलब है आप अपने लक्ष्य तक कैसे पहुंचेंगे ये अच्छी तरह लिख ले।
आप इसमें अपने हर दिन का ब्यौरा लिख सकते है या हर हफ्ते की प्लानिंग लिख सकते है।
३) खुद पर भरोसा रखें : “तू ये नहीं कर सकता।” “तुझे नहीं पता ये बेवकूफी वाला काम है” “तू बर्बाद हो जायेगा” “ये कभी मत करना” ये सब लाइन आप लोगों ने भी अपने दोस्त – रिश्तेदारों से सुनी होगी।
आपको हर कोई आ के फ्री की एडवाइस दे कर जायेगा पर आपको खुद पर विश्वास रखना है अगर आपने अपना लक्ष्य “पतला होना रखा है तो आप को हर रोज बिना किसी का सुने उस पर लगे रहना है। ”
हमेशा खुद पर भरोसा रखिये क्यों की आप के सिवा कोई नहीं जानता।
४) नकारात्मक लोगों से हमेशा दूर रहिये : नकारात्मक लोगों से मेरा मतलब है उन लोगो से दूर रहिये जिन्हे आपके लक्ष्य से कोई लेना देना नहीं है पर वे लोग अक्सर आपको नकारात्मक बाते बताते हो। लेकिन अगर कोई अनुभवी आपसे बाते करके आपको कुछ समझाये तो उसकी बाते सुन लेनी चाहिए क्यों की वो उसके अनुभव के बोल होंगे।
५) हमेशा सीखते रहिये : आपके लिस्ट में बेहतर इंसान कौन है ? क्या आप उन्हें फॉलो करते है अगर आप उन्हें जानते है या उनके बारे में पढ़ते है तो आपको पता होगा की वो हर दिन कुछ नया सीखते रहते है।
आपको भी हर दिन कुछ नया सीखना चाहिए आपके ही फिल्ड से जुड़ा हुआ।
अगर आपको मेरा ब्लॉग अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर कीजिये और ज्यादा जानकारी के लिए मुझे सोशल मीडिया पर भी फॉलो कीजिये।
पूरा ब्लॉग पढ़ने के लिए आप सभी का दिल से धन्यवाद।

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खुद का बिज़नेस सुरु करने के टिप्स

क्या आप अपने ९ से ६ बजे तक के जॉब से परेशान हो चुके हो ?? क्या आपको लगता है की अब खुद का कोई बिज़नेस सुरु करना चाहिए तो मैं आपको यहाँ कुछ टिप्स देना चाहूंगा।
विचार के साथ आना आसान हिस्सा है। यह जानना कठिन है कि कहां से शुरू करें। तो यहां अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं:


– एक बजट तैयार करें: क्या आपके पास इस विचार को लाने के लिए पर्याप्त पूंजी है? पहले चीजें, पहले यह पता लगा लें कि यह आपको सभी खर्चों सहित कितना खर्च करेगा, और यह पैसा कहां से आएगा। – क्या व्यावसायिक दुनिया को आपकी आवश्यकता है ?: क्या आपके उत्पाद की पर्याप्त मांग है? अपना व्यवसाय शुरू करने का प्रयास करने से पहले चारों ओर से पूछें – क्षेत्र में या देश के आसपास समान व्यवसायों के साथ जांचें। पता करें कि उन्होंने कैसे शुरू किया, और वे किस प्रकार के ग्राहकों को लक्षित करते हैं, जिससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आप बाज़ार में कहाँ फिट होंगे।

– एक मजबूत प्रबंधन टीम बनाएं: आपके टीम के सदस्यों को व्यवसाय की अपनी दृष्टि, और एक निश्चित मात्रा में अपनी काबियिलित और विश्वसनीयता साझा करनी चाहिए। नौकरियों के लिए सही लोगों को खोजने के लिए अपने कनेक्शन पर भरोसा करें जो व्यवसाय के लिए उनकी विशेषज्ञता लाएंगे। याद रखें कि आपको अंततः अपने अहंकार को अलग करना होगा और उन्हें कंपनी के कुछ पहलुओं को नियंत्रित करने देना होगा, इसलिए आपको अपनी प्रबंधन टीम के आसपास सहज महसूस करना होगा।
– छोटी शुरुआत करें: तुरंत अपने उत्पाद को एक साथ लाखो कंपनियों के बाजार में लाने की कोशिश करने के बजाय, कुछ दर्जन विशेष स्थानीय कंपनियों पर ध्यान केंद्रित करें। इस तरह आप उन्हें व्यक्तिगत रूप से कॉल कर सकते हैं, उन्हें अपनी मार्केटिंग सामग्री मेल कर सकते हैं, और फिर एक बैठक की व्यवस्था कर सकते हैं।
– गुणवत्ता के मामले: आपको अपने स्वयं के समान अन्य सभी व्यवसायों से अलग स्वयं को स्थापित करने में सक्षम होना चाहते हैं। अपने प्रोडक्ट और सर्विस की गुणवत्ता हमेशा अच्छी रखे जिससे आपकी कंपनी की छवि मार्किट में अच्छी हो।

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