Mahesh Mishra

Mahesh Mishra is a Founder of Arth Enterprises. Arth Enterprises owned 30+ Website & Apps. \

Monday, February 24, 2020

नौकरी के साथ करने लायक 30 व्यापार


नौकरी के साथ करने लायक 30 व्यापार की सूची बता रहा हूँ
  1. LIC जैसे बीमा कंपनी में बीमा एजेंट बन सकते हैं।
  2. म्यूच्यूअल फण्ड डिस्ट्रीब्यूटर बन सकते हैं।
  3. टैक्स फाइलिंग सीख कर लोगों के लिए टैक्स फाइलिंग सस्ते में कर सकते हैं।
  4. अमेज़न, फ्लिपकार्ट जैसी इ-कॉमर्स कंपनियों के साथ विक्रेता बन सकते हैं, और जो चीज़ आपको अपने शहर में सस्ते में मिले, उसे 20–30% मार्जिन रखकर ऑनलाइन बेच सकते हैं।
  5. सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर बन सकते हैं । इंस्टाग्राम, फेसबुक और ट्विटर पे अपने पसंद के विषय पर एक पेज बना कर उसमे पोस्ट करते हुए फॉलोवर्स बढ़ाइए, और कुछ समय बाद रोज़ पैसे कमाने का जरिया मिल जायेगा।
  6. एक गाडी खरीद लीजिये। ऑफिस जाने से पहले और ऑफिस से छुट्टी होने के बाद 3–4 घंटे अगर गाड़ी को ओला या उबेर से जुड़कर चलाते हैं तो गाड़ी की EMI निकलने के बाद आपके जेब में 10–15 हज़ार रुपये और बच जायेंगे।
  7. अगर गाड़ी चलानी नहीं आती तो बहुत सी कंपनियां हैं जिन्हे गाड़ियों की जरूरत होती है, जैसे रेलवे, रियल एस्टेट कंपनी, हॉस्पिटल, सरकारी दफ्तर इत्यादि, गाड़ी खरीदकर वहाँ लगा सकते हैं और महीने महीने भाड़ा कमा सकते हैं।
  8. स्टैंडअप कॉमेडियन बन सकते हैं। बैंगलोर और मुंबई जैसे शहर में कई लोग हैं जो नौकरी के साथ साथ अलग अलग क्लब में स्टैंडअप कॉमेडी करके पैसे कमाते हैं और वैकल्पिक करियर बनाते हैं।
  9. बच्चों को टयुशन पढ़ा सकते हैं, घर पर नहीं तो किसी कोचिंग इंस्टिट्यूट के साथ जुड़कर वीकेंड में पढ़ा सकते हैं।
  10. लैपटॉप और मोबाइल की रिपेयरिंग सीख कर इस से जुड़ा व्यापार कर सकते हैं।
  11. रियल एस्टेट एजेंट बन सकते हैं।
  12. फ़ूड फेयर में वीकेंड में मोमो या चाट का स्टाल लगाकर पैसे कमा सकते हैं।
  13. घर या फ्लैट खरीदकर उसको हॉस्टल या पीजी जैसा कुछ बना सकते हैं।
  14. किसी और का घर भाड़े पर लेकर उसको हॉस्टल या गेस्ट हाउस बना सकते हैं।
  15. गिटार या तबला सीख कर, एक साल अभ्यास करने के बाद जब आप खुद मास्टर बन जाएँ, तब गिटार और तबला सिखाने की ट्रेनिंग देकर पैसे कमा सकते हैं।
  16. फिजियोथेरेपी सीखकर घर से ही शाम को क्लिनिक जैसा चला सकते हैं।
  17. घर में ही एक लांड्री खोल सकते हैं, इसके लिए चाहिए 1–2 सेकंड हैंड वाशिंग मशीन और ड्रायर। हॉस्टल और फ्लैट्स में जहां विद्यार्थी और बैचलर्स रहते हैं, उनके कपड़े लांड्री करके पैसे कमा सकते हैं।
  18. जोमाटो और उबेर इट्स जैसे प्लेटफार्म पर छोटे मोठे ढाबे लिस्ट नहीं होते। आप किसी ढाबे से साझेदारी कर लीजिये जो आपको सस्ते में वेज थाली, चिकन थाली, बिरयानी इत्यादि दे सके। आप बस अपना एक ब्रांड बनाइये और उसका मेनू बनाकर जोमाटो पर लिस्ट कर दीजिये। जैसे जैसे डिनर के आर्डर आएंगे, आप ढाबे से खाना पैक करके अपने ब्रांड के पैकिंग में लोगों तक पहुंचा दीजिये। इसके लिए ना आपको कुक चाहिए और ना ही कोई स्टाफ। ऑफिस से आने के बाद भी यह काम किया जा सकता है।
  19. एंड्राइड एप्प बनाना सीख लीजिये। वेब डिजाइनिंग का ज़माना गया, अब लोग एंड्राइड एप्प बनवा रहे हैं।
  20. डिजिटल मार्केटिंग का सिर्फ 3 महीने का कोर्स होता है, यह कोर्स करके आप डिजिटल मार्केटिंग से जुड़ा कोई व्यापार कर सकते हैं।
  21. टेम्पो या मिनी ट्रक खरीदकर इसे किसी कंस्ट्रक्शन कंपनी को भाड़े पे सकते हैं।
  22. ऑनलाइन पोकर और रमी खेल सकते हैं।
  23. शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग कर सकते हैं।
  24. अपने मनपसंद विषय पर वीडियो बनाकर यूट्यूब चैनल बना सकते हैं।
  25. रद्दी का व्यापार कर सकते हैं। शाम को लोग आपके घर पर आकर रद्दी दे सकते हैं जिसके बदले आप उन्हें रद्दी वालों से ज्यादा पैसे दे सकते हैं। फिर रद्दी को आप आगे स्क्रैप डीलिंग कंपनियों को बेच सकते हैं।
  26. लोगों को सुबह सुबह योग सीखा सकते हैं, आजकल इसकी बहुत ज्यादा demand है। बस ऑफिस जाने से पहले दिन में २ घंटे लोगों को योग सिखाना है।
  27. एमवे जैसी नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी से जुड़ सकते हैं।
  28. नगर पालिका और पास के पुलिस थाने से इजाज़त लेकर आप घर से ही एक ऐसा एक छोटा सा खाने पीने का व्यापार कर सकते हैं। रात में जब साड़ी दुकानें बंद हो जाती है, तब आपके आउटलेट से लोग केक, बिस्कुट, कोल्ड ड्रिंक, सिगरेट, चिप्स इत्यादि लेने आएंगे। पूरी रात खोलने की जरूरत नहीं है। 11 बजे से 2 या 3 बजे तक काफी है।
  29. ऑफिस ख़तम होने के बाद आप किसी कॉल सेंटर के बाहर चाय और कॉफ़ी की छोटी सी मशीन लगाकर नाईट शिफ्ट में काम कर रहे लोगों को चाय कॉफ़ी पीला कर भी पैसे कमा सकते हैं।
  30. एडिटिंग (वीडियो एडिटिंग, साउंड इंजीनियरिंग, लोगो डिजाइनिंग, फोटोशॉप इत्यादी) का कोर्स करके आप नौकरी के साथ साथ इस से जुड़ा व्यापार कर सकते हैं।
जो भी काम करना है, रोग मुक्त होकर करना है। अरे वही सबसे बड़ा वाला रोग, 'क्या कहेंगे लोग'। इस रोग को बाजू में रखकर काम करना है। क्या पता कोई काम इतना बड़ा बन जाए की नौकरी ही करने की जरूरत ना पड़े।

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Thursday, February 20, 2020

सरकारी नौकरी पाने के महत्वपूर्ण टिप्स

नौकरी चाहने वालों के बीच हमेशा सरकारी नौकरियों की भारी मांग रही है। सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में संगठन के पतन का मौका नहीं है। यह सरकारी कर्मचारी के जीवन को सुरक्षित बनाता है। नौकरी की सुरक्षा के अलावा, सरकारी नौकरियों में अच्छे वेतन, प्रतिष्ठा, आकर्षक वेतन वृद्धि, नियत कार्य समय, छुट्टियों की उपलब्धता, भत्तों और रियायतें भी हैं।

सरकारी नौकरी पाने के लिए, उम्मीदवारों को संगठन की भर्ती प्रक्रिया के आधार पर विभिन्न परीक्षाओं और साक्षात्कारों से गुजरना पड़ता है। आप विभिन्न संस्थानों को खोज सकते हैं जो लिखित भर्ती परीक्षा के लिए लोगों को प्रशिक्षित करते हैं। सरकारी नौकरी पाने में आपकी मदद करने के लिए यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:


- अपडेट प्राप्त करें - नवीनतम सरकारी नौकरी अपडेट प्राप्त करने के लिए एक अच्छा स्रोत खोजना महत्वपूर्ण है। आप इन अपडेट को रोजगार समाचार पत्र, नौकरी पोर्टल और वेबसाइटों में पा सकते हैं। अपनी शैक्षिक योग्यता और व्यक्तिगत हितों के अनुकूल नौकरियों को खोजने के लिए इन स्रोतों का उपयोग करें।

- अनुसंधान - पाठ्यक्रम, परीक्षा पैटर्न चयन प्रक्रिया और परीक्षा की योजना के बारे में सही ज्ञान होने के लिए उचित शोध करना महत्वपूर्ण है। तैयारी करते समय आपको पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों से भी परामर्श करना चाहिए।

- एक सकारात्मक दृष्टिकोण रखें - मजबूत आत्मविश्वास और सकारात्मक दृष्टिकोण रखना महत्वपूर्ण है। यह जरूरी नहीं है कि आपको पहली बार में ही सफलता मिल जाए। प्रतियोगी परीक्षा के परिणाम के साथ कुछ भी हो सकता है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि आशा और आत्मविश्वास न खोएं। दबाव में परीक्षा की तैयारी न करें और उस परीक्षा को लक्षित करें जिसे आप अच्छी तरह से तैयार करने के लिए परीक्षा के सभी विवरण और अध्ययन सामग्री देना चाहते हैं।

- योजना - स्पष्ट योजना के बिना तैयारी करने से विफलता होगी। तैयारी शुरू करने से पहले एक कार्यक्रम तैयार करना महत्वपूर्ण है। परीक्षा में सेंध लगाने के लिए ध्वनि की तैयारी बहुत महत्वपूर्ण है। आप बाजार में सरकारी परीक्षाओं के लिए विभिन्न पुस्तकें पा सकते हैं। आवश्यक पुस्तकें खरीदें और व्यवस्थित रूप से तैयार करें।

- अभ्यास - पूर्ण होने के लिए जितना संभव हो उतना अभ्यास करना महत्वपूर्ण है। एक अलग नोटबुक में सभी शॉर्टकट, तकनीक और सूत्र नोट करें। हर परीक्षा के उत्तर की जाँच करके मॉक टेस्ट लें और खुद का विश्लेषण करें।

- साक्षात्कार की तैयारी - लिखित परीक्षा को स्पष्ट करने वाले अभ्यर्थियों को सीधे आमने-सामने साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है। साक्षात्कार को सही तरीके से स्वीकार करना बहुत महत्वपूर्ण है। आत्मविश्वास से भरे रहें और साक्षात्कारकर्ता से मिलते समय अपने चेहरे पर मुस्कान रखें। सभी प्रश्नों का उत्तर सकारात्मक मानसिकता के साथ दें। आप अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों को ऑनलाइन देख सकते हैं।

सकारात्मक मानसिकता और सही रवैया सरकारी नौकरी पाने की कुंजी है।

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Government Jobs Brings With it Endless Opportunities & Social Status

Government Jobs Brings With it Endless Opportunities & Social Status

government jobs are in great demand nowadays. Since there are plenty of posts lying vacant in various government sectors, hiring people to fill up these posts is on the rise through various national and state-level examinations. There is a common belief among Indian masses that government jobs are full of noteworthy allowances and benefits, in addition to attractive pay scales. With countless Government Vacancy in the offering, you'll always find one suiting your educational qualification and experience level.

The procedure to fill up government, bank, or railway vacancies is very organized and systematic. You need to go through several rounds of tests and interviews successfully to get a job. So before trying your luck in this sector, you must be well-aware of the various procedures involved in it.

The global economic downturn has left an adverse effect on the hiring process of many private limited as well as multi-national companies. Millions of employees in the private sector are being retrenched every day in the hope of reducing the costs of running a business. New recruitment processes have been frozen by numerous large as well as small companies, thereby leaving innumerable graduates and post-graduates jobless after completing their courses.

On the other hand, the government sector is mostly untouched by the global recession. The advertisements for Government Vacancy are being published frequently in the press, electronic media, and the Internet. Job seekers are now heading for more government or bank jobs than jobs in the MNCs due to a lack of openings there.

Most of the time, people who are looking for the Government Vacancy take job security, salary consistency, and smooth life into consideration. Pension after retirement is one of the major attractions of a career in the government sector. Other benefits include timely promotions and an increase in salaries that will be consistent and fixed. Though private jobs offer a quick growth opportunity in terms of salary and promotion, they do not have provisions for pensions to their employees after retirement.

In addition, obtaining a government job is not straightforward all the time. You need to get through levels of entrance exams and interviews to become suitable for a particular job. Private organizations boast state-of-the-art infrastructure and advanced technologies. In contrast, the facilities offered by the government establishments are more attractive in the form of the number of leaves available, special benefits for female employees, life insurance, etc.

Private jobs call for long working hours that result in more physical and mental stress. The stress involved in private jobs will also lessen the time that you can spend with your family. People are now realizing the significance of safe work in government or bank jobs. On the one hand, the demand for bank jobs in India is mounting and on the other hand, the government is adopting effective measures to generate more jobs in the banking sector.

If you are making up your mind to do Government Job, you can acquire relevant information on different exams from newspapers and the Internet. There are hundreds of websites that provide the latest information on various government, bank or railway jobs. So, searching for the Internet will be the most suitable alternative for you.

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Wednesday, February 19, 2020

www.governmentvacancy.net

Wednesday, February 12, 2020

गांव से कौन-कौन सा व्यवसाय शुरू किया जा सकता है जिससे 30000/- 40000/- हजार प्रती माह कमाया जा सकता है?


गांव से कौन-कौन सा व्यवसाय शुरू किया जा सकता है जिससे 30000/- 40000/- हजार प्रती माह कमाया जा सकता है?
गांव से बहुत सारे बिज़नेस किये जा सकते हैं वहां पर लागत भी कम आती है |कुछ ऐसे बिज़नेस होते हैं जिनका रॉ मटेरियल भी गांव में मिल जाता है |मजदूरी सस्ती होती है आज मैं आपको कुछ ऐसे बिज़नेस के बारे में बताऊंगा जो गांव से आसानी से किये जा सकते हैं.
1-घरेलू आटा चक्की, वाणिज्यिक आटा चक्की,
गेहूं का आटा भारतीय संस्कृति में सबसे महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थों में से एक हैं तथा यह नाना प्रकार की रोटी, डबल रोटी और पेस्ट्री आदि बनाने का प्रमुख संघटक है। आटे को प्राप्त करने के लिए अनाज को चक्की में पीसा जाता है। आटा पिसाई की इकाईयां सर्वाधिक परम्परागत इकाईयों में से एक है। स्थानीय आवश्यकताओं तथा बाजार की मांग को देखते हुए विभिन्न स्तरों पर आटा चक्कियां स्थापित की जा सकती हैं, जैसे घरेलू आटा चक्की, वाणिज्यिक आटा चक्की, बेकरी /मिनी फ्रलोर मिल तथा रोलर फ्रलोर मिल आदि। लगभग प्रत्येक ग्राम स्तर पर इस प्रकार की आटा चक्कियां लगाई जा सकती हैं। शहरी क्षेत्रों के लिए ये उतनी ही उपयोगी हैं जितनी ग्रामीण क्षेत्रों के लिए।
गेहूँ के आटे का प्रयोग चपातियां तथा अन्ये भुने हुए अनाज आधारित उत्पादों को बनाने में किया जाता है तथा यह कच्चे माल के रूप में ब्रेड, बिस्कुट, केक तथा बेकरी उत्पादों को बनानें के लिए भी प्रयोग में लाया जाता है। यह इकाई कम पूंजी द्वारा छोटे स्तर पर भी प्रारम्भ की जा सकती है तथा सरकार द्वारा यह उद्योग लघु उद्योग की सूची में आरक्षित किया गया है।
2-बागबानी का व्यवसाय
अगर आप एक प्रकृति से प्रेम करने वाले व्यक्ति हैं तो यह आपके लिए बहुत ही अच्छा विकल्प है। बागबान या नर्सरी में कई प्रकार के पौधे व फूल लगाए जा सकते हैं जिसके बाद आप उन्हें बेचकर अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। यह आपको सिर्फ पैसे ही नहीं देगा बल्कि उसके साथ साथ आप को शान्ति भी प्रदान करेगा और प्रकृति की सुरक्षा के लिए यह आपका एक छोटा सा कदम भी होगा।
3-आचार एवं पापड़ का व्यवसाय
आजकल अचार और पापड़ बनाने का भी बिजनेस बहुत ही प्रसिद्ध हो चुका है। खासकर यह औरतों के लिए बहुत ही अच्छा बिजनेस है। हर शहर, कस्बे और गाँव में यह बिजनेस बहुत तेजी से ही बढ़ता जा रहा है। इसकी शुरुआत आप ₹10000 के अंदर आराम से कर सकते हैं। आपके पास पैसे नहीं है तो आपको इस कार्य के लिए आपको आराम से बैंक से लोन भी मिल जाएगा। इसे शुरू करने के लिए आपको लगभग 4 से 6 व्यक्तियों की जरूरत होती है। इसे शुरू कर के घर की महिला और बेरोजगार व्यक्ति आत्मनिर्भर बन सकते हैं। इसके लिए आपको किसी अनुभवी डिस्ट्रीब्यूटर (distributor) से बात करनी होगी जिसके द्वारा आपका पापड़ पूरे शहर की दुकानों पर बेचा जाएगा। अगर आप सही कीमत और अच्छी क्वालिटी पर ध्यान देंगे तो आपका यह बिजनेस बहुत अच्छे तरीके से चल पड़ेगा और आप बहुत सारा पैसा कमा सकते हैं।
4-मछली पालन का व्यापार
अगर आप गाँव में रहते हैं और आपके पास एक छोटा सा तालाब है तो यह आपके लिए बहुत ही अच्छा विकल्प है। आप मछली पालन का व्यापार कर सकते हैं क्योंकि सरकार भी इसके लिए लोगों को प्रोत्साहित कर रही है और मछली पालन के लिए आपको बैंक से लोन भी मिल जाएगा। तो ऐसे में यह आपके लिए बहुत ही अच्छा विकल्प बन जाता है।
5-जानवरों के खाने का उत्पाद
एनिमल फीड को आप जानवरों का खाना कह सकते हैं जो कि अधिकांश डेरी तथा पोल्ट्री फार्म वाले इस्तेमाल करते हैं, जो आपके लिए एक अच्छा विकल्प प्रदान करती है अगर आप ऐसे क्षेत्र से संबंध रखते हैं जहाँ पर मुर्गी पालन तथा डेरी(dairy) का काम होता है। तो यह आपके लिए एक अच्छा विकल्प है।
6-ब्रेड बनाने का व्यवसाय
इस काम की शुरुआत अपने घर से भी कर सकते है। आजकल ब्रेड खाने वाले लोगों की गिनती बढ़ती जा रही है क्योंकि सबसे कम समय में तैयार होने वाला ब्रेकफास्ट कैटेगरी में आता है। अतः ब्रेड बनाने का बिजनेस आपके लिए बहुत ही अच्छा विकल्प है। जिससे आप एक अच्छे औषत इन्वेस्टमेंट के साथ चालू कर सकते हैं।
7-कपड़ों में कढ़ाई का व्यवसाय
आजकल हर कोई अच्छे और सुंदर कपड़े पहनना चाहता है क्योंकि लोग उन्हें पहन कर आकर्षक दिखना चाहते हैं। खासकर औरतों को कढ़ाई वाले कपडे काफ़ी पसंद होते हैं। इसलिए कपड़ों पर कढ़ाई करने का व्यवसाय आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। खासकर उन हुनर मंद महिलाओं के लिए जो काम की तलाश में है। यह उनके लिए बहुत ही अच्छा विकल्प है। जिसे घर बैठे भी किया जा सकता है।
8-रजाई एवं कंबल बनाने का व्यवसाय
अगर सीजनल तौर पर देखें तो आपके लिए बहुत ही अच्छा व्यवसाय है, क्योंकि ठंडी के दिनों में रजाई, कंबल और गद्दों की मांग बढ़ जाती है, जो आपके लिए बहुत ही अच्छा अवसर प्रदान करती है क्योंकि इनकी जरूरत सभी को होती है। इसके लिए आपको बस यह सीखना होता है की कच्चा माल (raw material) सही दाम पर कैसे खरीदना होता है। फिर आप रजाई कंबल और गद्दे बनाकर भी अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं।
9-पॉपकॉर्न बनाने का व्यवसाय
अगर आप गांव में रहते हैं और एक छोटे स्तर पर व्यापार शुरू करने की सोच रहे हैं तो यह आपके लिए बहुत ही अच्छा विकल्प होगा क्योंकि पॉपकॉर्न बनाने के लिए मक्का की जरूरत होती है जो कि आसानी से गाँव में सस्ते रेट पर मिल जाती है जो कि आपके लिए प्लस पॉइंट होगा। इसके लिए बस आपको इसके पैकेजिंग को सीखना होगा जिसके बाद आप इसे शहर में बेचकर अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं।
10-मुर्गी पालन का व्यवसाय
मुर्गी पालन का व्यवसाय आज के समय में बहुत ही तेजी से बढ़ रहा है। पोल्ट्री फार्मिंग बिजनेस को आप एक छोटे दर्जे के बिजनेस में देख सकते हैं, जो आपकी जीवन बदलने की क्षमता रखता है। इसके लिए लगभग आपको 1 लाख रुपए की जरूरत पड़ेगी, जिसके बाद आपने अच्छे से मेहनत की तो यह बिजनेस बहुत ही तेजी से ग्रो (grow) करेगा क्योंकि दिन प्रतिदिन नॉन-वेज (non-veg) खाने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिससे मुर्गियों की खपत भी (consumption) बढ़ती जा रही है। जो आपके लिए बहुत ही अच्छा मौका प्रदान करता है।
11-राइस प्रोसेसिंग मिल
अगर आप राइस प्रोसेसिंग मिल शुरू करते हैं तो आप कुल 3.5 लाख रुपए की प्रोजेक्ट कॉस्ट में यह यूनिट लगा सकते हैं। इसमें लगभग 25 फीसदी पैसे का इंतजाम करना होगा, बाकी लगभग 2 लाख रुपए का आपको लोन मिल जाएगा। प्रोजेक्ट के तहत आप लगभग 370 क्विंटल राइस की प्रोसेसिंग करता है। इसका कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन लगभग 4 लाख 45 हजार रुपए आएगा, जबकि यदि आप सारा माल आगे बेच देते हैं तो आपकी सेल्स लगभग 5 लाख 54 हजार रुपए होगी। यानी कि आप लगभग 1 लाख 10 हजार रुपए तक कमा सकते हैं।
12-रूम कूलर बनाने की यूनिट
इस सीजन में आप ऐसा बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, जो शुरू होने के बाद ही रिटर्न देना शुरू कर दे तो आपको रूम कूलर बनाने की यूनिट लगानी चाहिए। यह एक अच्‍छा मौका है, जब रूम कूलर बनाने की यूनिट लगाकर अपने बिजनेस की शुरुआत कर सकते हो। जो आगे आने वाले समय में भी अच्‍छा खासा चलेगा। इतना ही नहीं, इस बिजनेस में संभावनाओं को देखते हुए सरकार की स्‍कीम में भी आपको लोन मिल जाएगा।
13-चॉक बनाने का व्यवसाय
चॉक प्रत्येक स्कूल, कालेज एवं शिक्षा संस्थानों में काम आने वाली आवश्यक वस्तु है। स्कूल से लेकर विश्वविद्यालयों तक में चॉक का प्रयोग किया जाता है। भारत में स्कूलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और हर साल सैकड़ों नए स्कूल हर राज्य में खुल जाते हैं। इसलिए चॉको की मांग बराबर बढ़ती जा रही है। भारत में कई कारखाने चॉक बना रहे हैं, इस उद्योग से भी अच्छा लाभ प्राप्त होने की सम्भावना है। चॉक बनाने का काम काफी आसान है। आज भी भारत में कारखानो में चॉक बनाया जा रहा हैं, लेकिन फिर भी इस उद्योग को अच्छा लाभ मिलने पूरी सम्भावना है। साथ ही ये काम बहुत अधिक शाररिक श्रम भी नहीं मांगता। चॉक बनाने का काम काफी आसान व सुगम हैं। इस उद्योग को घरेलू तथा कुटीर उद्योग के रूप में भी प्रारम्भ किया जा सकता है। साथ ही ये उद्योग महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बना सकता हैं।
14-डेरी व्यवसाय
शुरु करने के लिए सबसे आसान कारोबार है हालांकि, इसके लिए कुछ विशेष ज्ञान की आवश्यकता पड़ती है और इसे बड़े स्तर का व्यवसाय बनाने के लिए कुछ तकनीकों के प्रयोग की आवश्यकता होती है। कुछ शिक्षित लोग इसे पूरी योजना के साथ डेरी विज्ञान, कृषि, इससे संबंधित अन्य क्षेत्रों में डिग्री लेने के द्वारा करते है।
दूध उत्पादन परंपरागत व्यवसाय है, इसलिए, किसी को भी दूध और अन्य डेयरी उत्पादकों (दूध उत्पादकों) के बारे में चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि, ये किसी भी स्थान पर आसानी से बेचे जा सकते हैं। डेयरी उत्पादकों का बाजार पूरे सालभर सक्रिय रहता है।
आपका दिन शुभ हो ---और कोई सवाल हो तो टिप्पणी करें --धन्यवाद

Kash mai sach me tera ho jau...

Kash mai sach me tera ho jau...
Teri jheel si aankho me dooba hi jau,
Teri zulfo ki chadar ke niche so jau,
Tere chand se mukhde ko takta rah jau,
Kash mai sach me tera ho jau...
Mere khushiyo ke pal ka ehsaas ho tum,
Mere murjhaye hue dil ki pyas ho tum,
Jise sunna mai chahu vo awaz ho tum,
Mere chehre ki hasi ka raaz ho tum,
Us hasi me hi kahi mai ghum ho jau,
Kash mai sach me tera ho jau...
Tere mathe ki bindi aur hotho ki laali,
Nazar maine apni sirf tum per hi dali,
Tere aane se pehle tha dil mera khali,
Tumhe dekh kar hi maine nayi zindagi paali,
Us chotisi zindagi ka hissa ban jau,
Kash mai sach me tera ho jau...
Mere ulze sawalon ka jawab ho tum,
Jise padhna mai chahu vo kitab ho tum,
Amrit se bhi mehengi sharab ho tum,
Dil me basa khoobsurat sa khwab ho tum,
Un khwabo me sapno ki duniya sajau,
Kash mai sach me tera ho jau...
Manzil chahe door, per hatho me tera hath ho,
Khush rakhu mai tujhko mujhme itni si aukat ho,
Bin tere na guzre chahe din ho ya raat ho,
Ho milan jab bhi dono ka rim jhim kar barsat ho,
Us sawan ki barsat me geet tujhe sunau,
Kash mai sach me tera ho jau...
Sapno me mai jholi teri khushiyo se hi bharta hu,
Kahi vehem na reh jaye sapna mera, iss baat se darta hu,
Tum samajh bhi na paoge mai tumpe kitna marta hu,
Jab baat rishto ki hoti hai intezar tera mai karta hu,
Us intezar ki ghadi me, waqt tera ban jau,
Kash mai sach me tera ho jau...
Meri mushkilo ko samajhne wala tuhi mera yaar hai,
Tujhme hi toh basa mera pura sansar hai,
Tu ha kar ya na kar maine maani nahi haar hai,
Pyar me tere bana ye aashiq kalakar hai,
Apne lafzo ke sahare tujhe baat jo batau,
Kash mai sach me tera ho jau...
Bato hi bato me ek baat batani reh gayi,
Dil me chupi pyari si murad jatani reh gayi,
Vada hu karta sath har pal mai nibhaunga,
Kahi bhul ho jaye humse toh iss vade ko dohoraunga,
Teri yaad me likhte likhte jana mai toh kahi kho chuka hu,
Bina teri izazat ke mai toh tera ho chuka hu,
Zindagi me teri ek bahar ban ke aau,
Kash mai sach me tera ho jau...

© Pankaj Ashok Gahlot

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Thursday, February 6, 2020

वक्त बदलते वक्त नहीं लगता



हरियाणा के यमुनानगर जिले में दामला गाँव के निवासी धर्मबीर कम्बोज जो एक रिक्शाचालक थे और उन्होंने अथक परिश्रम करते हुए एक नया मुकाम हासिल किया जिन्हें देखकर कोई भी प्रेरित हो सकता…
भयंकर आर्थिक तंगी में बीते बचपन से जब धर्मबीर ने युवावस्था में कदम रखा और आटा पीसने से लेकर सरसों का तेल बेचने तक जो भी काम मिला उसे बड़ी हिम्मत से करते गये। विवाह हुआ तो कंधे पर बोझ और बढ़ गया। ऐसा लगने लगा के गाँव में रह कर दो वक्त की रोटी कमाना भी नामुमकिन है। गुज़र बसर के लिये दिल्ली जाने का कार्यक्रम बना। धर्मवीर बताते हैं के जब वह दिल्ली के लिये घर से निकले तो उनकी नवजात बिटिया केवल 3 दिनों की थी। जेब में कुल 70 रुपये थे जिसमें से 35 रुपये किराये में खर्च हो गये। कड़ाके की ठंड में दिल्ली पहुंचे और रोज़गार के लिये इधर उधर भटकना शुरू कर दिया। किसी की सलाह पर एक रिक्शा किराये पर ले लिया और दिन रात रिक्शा चलाना शुरू कर दिया।
एक दिन रिक्शा चलाते हुये किसी वाहन की चपेट में आ गये और ना चाहते हुये भी गाँव वापिस लौटने का निर्णय लेना पड़ा।
गाँव लौटे तो पैतृक ज़मीन पर खेती शुरू कर दी। पारम्परिक अनाज की खेती न करके सब्ज़ियाँ उगानी शुरू कर दी।मशरूम और स्ट्रॉबेरी की फसल लगाई तो कई गुणा मुनाफा हुआ। इसी बीच एक बार किसानों के एक समूह के साथ उन्हें राजस्थान के पुष्कर जाने का मौका मिला। सेल्फ-हेल्प ग्रुप से जुड़ी महिलाएँ खुद गुलाबजल बना रही हैं। वहां उन्होंने महिलाओं को आंवले के लड्डू भी बनाते देखा।
उन्हें समझ में आया कि कोई भी सब्ज़ी, फल, फूल आदि की खेती में फायदा तब है जब किसान अपनी उपज को सीधे बाज़ार में बेचने की बजाय उसकी प्रोसेसिंग करके और प्रोडक्ट्स बनाकर बेचे।
बचपन में धर्मबीर पढ़ाई में तो बढ़िया नहीं थे लेकिन जुगाड़ से छोटी-मोटी मशीन बनाने का शौक रखते थे।युवावस्था में कॉम्पोनेंट्स को जोड़ कर हीटर बनाकर बेच चुके थे। मशीनरी से उन्हें प्यार था। धर्मबीर ने एक ऐसी मशीन बनाने की ठान ली जिससे एलोवेरा, आंवला, तुलसी, आम, अमरुद आदि को प्रोसेस किया जा सके।
कुल 20,000 की लागत और 8 महीने के अथक परिश्रम और इनोवेशन की बदौलत इस रिक्शा चालक ने एक प्रोसेसिंग मशीन तैयार कर दी।
मशीन में 400 लीटर का ड्रम है जिसमें 1 घंटे में 200 लीटर एलोवेरा प्रोसेस कर सकते हैं। साथ ही इसी मशीन में आप कच्चे मटेरियल को गर्म भी कर सकते हैं। इस मशीन की एक ख़ासियत यह भी है कि इसे आसानी से कहीं भी लाया-ले जाया सकता है। यह मशीन सिंगल फेज मोटर पर चलती है और इसकी गति को नियंत्रित किया जा सकता है।
धर्मबीर ने इस मशीन को अपने खेत पर रखकर फार्म फ्रेश प्रोडक्ट बनाना शुरू किया। उन्होंने अपने खेत में उगने वाले एलोवेरा और अन्य कुछ सब्ज़ियों को सीधा प्रोसेस करके, उनके जैल, ज्यूस, कैंडी, जैम आदि प्रोडक्ट बनाकर बेचना शुरू कर दिया। एक फाउंडेशन की सहायता से धर्मबीर ने मशीन का 'पेटेंट' भी हासिल कर लिया।
इसी बीच साल 2009 में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन ने उनको मशीन के आविष्कार के लिये सम्मानित किया। इसके बाद उनके बारे में जब कई अख़बारों में छपा तो उन्हें मशीन के लिए पूरे देश से ऑर्डर आने शुरू हो गए। मशीन की प्रोडक्शन बढ़ाने के लिये एक लघु उद्योग लगा लिया गया।
कहते हैं ऊपर वाला जब देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है। मशीन की मशहूरी केवल भारत तक सीमित नहीं रही बल्कि मशीन देश के बाहर जापान, दक्षिण अफ्रीका, केन्या, नेपाल और नाईज़ीरिया जैसे देशों से भी ऑर्डर आने लगे।
धर्मबीर आज करोड़ों में कमा रहें हैं। कभी रिक्शा का हैंडल संभालने वाले हाथ आज गाड़ी का स्टीयरिंग संभाल रहे हैं। धर्मबीर आज भी उन दिनों को याद कर के सिहर उठते हैं जब दिल्ली की कड़कती सर्दी पर उन्हें फुटपाथ पर सोना पड़ता था।
परंतु आज हालात बदल चुके हैं। अपने सपनों के पीछे भागते इस रिक्शाचालक से उद्योगपति बने कर्मठ व्यक्ति ने आज एक अंतरराष्ट्रीय ब्रैंड को स्थापित कर दिया है।
पूरे जुनून और पूरी शिद्दत से सपनों के पीछे दौड़ते रहना चाहिये क्योंकि 'वक्त बदलते वक्त नहीं लगता'!
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करसन भाई पटेल

कभी घर-घर जाकर साइकिल से बेचता था सामान, ऐसे खड़ी की 5500 करोड़ की कंपनी
शून्‍य से शिखर तक का सफर तय करने वाले करसनभाई पटेल आज लगभग 5,500 करोड़ रुपए की कंपनी के मालिक हैं. अपने व्‍यावसायिक सफर में उन्‍होंने देसी तो छोड़ि‍ए, टॉप विदेशी कंपनियों के भी पसीने छुड़ा दिए.
आज मैं आपको एक ऐसे शख्‍स की कहानी बता रहा हूँ , जिसका बचपन गरीबी में बीता, लेकिन अपनी संकल्‍पशक्ति और बेजोड़ रणनीति के दम पर उन्‍होंने भारतीय कॉरपोरेट जगत में वह ऊंचाई हासिल की, जिसकी अधिकांश लोग बस कल्‍पना ही कर पाते हैं.
यह कहानी है- गुजरात के एक साधारण किसान परिवार में जन्‍मे करसन भाई पटेल की.

गरीबी के कारण उनकी औपचारिक शिक्षा कुछ खास नहीं हो पाई. हालांकि लगन के धनी पटेल ने केमिस्‍ट्री में बीएससी करके हालात को संभालने के लिए एक लैब टेक्‍नीशियन की नौकरी कर ली. लेकिन उन्‍हें जल्‍द यह बात समझ में आ गई कि महज नौकरी से कुछ होने वाला नहीं है.
बस क्‍या था, उन्‍होंने नौकरी के साथ शुरू कर दिया अपना बिजनेस.
पटेल ने अपने घर के पिछवाड़े में डिटरजेंट बनाना शुरू किया और उस पाउडर की पैकेजिंग वे हाथ से ही करते थे. फिर ऑफिस से आने के बाद उन्‍होंने साइकिल चलाकर और घर-घर जाकर उसे बेचना शुरू किया. उस समय निरमा डिटरजेंट पाउडर की कीमत उन्‍होंने 3 रुपए प्रति किलो रखी.
जल्‍द उनका प्रोडक्‍ट हिट हो गया और उन्‍होंने इसका ब्रांड नैम अपनी बेटी के नाम पर निरमा रखा. इसके तीन साल बाद  पटेल ने अपनी नौकरी छोड़ दी. जल्‍द निरमा ब्रांड गुजरात और महाराष्‍ट्र में काफी लोकप्रिय हो गया. आज इस ब्रांड के तहत कई सारी इकाइयां काम कर रही हैं, जिनमें काम करने वालों की संख्‍या 15 हजार से भी अधिक है.
पटेल ने 1969 में वाशिंग पाउडर निरमा शुरू किया. उस वक्त कुछ गिनी-चुनी विदेशी कंपनियां ही डिटर्जेंट बना रही थीं.
इन सबके बीच निरमा की लोकप्रियता इसलिए बढ़ी, क्‍योंकि उसने हर पैकेट पर कपड़े साफ नहीं होने पर पैसे वापस करने की गारंटी देनी शुरू की.
इससे लोगों में इस पाउडर के प्रति भरोसा बढ़ गया और वे आसानी से इसे खरीदने लगे. कम कीमत के कारण भी इसके विस्‍तार में मदद मिली.
बाजार के अन्‍य प्रोडक्‍ट्स की तुलना में इसकी कीमत को उन्‍होंने सोझ-समझकर रखा. जब बाजार का सबसे सस्ता वाशिंग पाउडर 13 रुपए प्रति किलो था, तब निरमा पाउडर तीन रुपए प्रति किलो बिक रहा था.
चूंकि लोगों की चाह होती है कि उन्हें सस्ती और अच्छी चीज मिले, पटेल का फार्मूला इस चाहत में फिट बैठ गया.
फोर्ब्स ‌के अनुसार, एक साल में आठ लाख टन निरमा डिटर्जेंट बिकता है.
1995 में पटेल ने अहमदाबाद में ‘निरमा इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी’ की स्थापना की. इसके बाद एक प्रबंधन संस्थान की भी स्थापना की गई. बाद में दोनों संस्थान ‘निरमा यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी’ के अंतर्गत आ गए.
आपका दिन शुभ हो ---और कोई सवाल हो तो टिप्पणी करें --धन्यवाद

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Wednesday, February 5, 2020

रतन टाटा विरुद्ध बिल फोर्ड


अपमान का सबसे अच्छा बदला सफलता हैं”।
आज मैं रतन टाटा के एसे पड़ाव के बारे में बात करने जा रहा हु , जिसमें रतन टाटा ने अपनी सफलता से अपने अपमान का बदला लिया।
शुरू करने से पहले रतन टाटा के बारे में थोड़ा जान लेते हैं
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर, 1937 को भारत के सूरत शहर में हुआ था। रतन टाटा नवल टाटा के बेटे हैं जिन्हे नवजबाई टाटा ने अपने पति रतनजी टाटा के मृत्यु के बाद गोद लिया था। जब रतन दस साल के थे और उनके छोटे भाई, जिमी, सात साल के तभी उनके माता-पिता (नवल और सोनू) मध्य 1940 के दशक में एक दुसरे से अलग हो गए। तत्पश्चात दोनों भाइयों का पालन-पोषण उनकी दादी नवजबाई टाटा द्वारा किया गया। रतन टाटा का एक सौतेला भाई भी है जिसका नाम नोएल टाटा है।
रतन की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के कैंपियन स्कूल से हुई और माध्यमिक शिक्षा कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल से। इसके बाद उन्होंने अपना बी एस वास्तुकला में स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के साथ कॉर्नेल विश्वविद्यालय से 1962 में पूरा किया। तत्पश्चात उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से सन 1975 में एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया।
रतन टाटा एक प्रसिद्ध भारतीय उद्योगपति और टाटा संस के सेवामुक्त चेयरमैन हैं। वे सन 1991 से लेकर 2012 तक टाटा ग्रुप के अध्यक्ष रहे। 28 दिसंबर 2012 को उन्होंने टाटा ग्रुप के अध्यक्ष पद को छोड़ दिया परन्तु वे अभी भी टाटा समूह के चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष बने हुए हैं। वह टाटा ग्रुप के सभी प्रमुख कम्पनियों जैसे टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा पावर, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, टाटा टी, टाटा केमिकल्स, इंडियन होटल्स और टाटा टेलीसर्विसेज के भी अध्यक्ष थे। उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने नई ऊंचाइयों छुआ और समूह का राजस्व भी कई गुना बढ़ा।
० टाटा समूह की कंपनिया १०० से ज्यादा देशों में हैं
० पूरे टाटा समूह में ६.५ लाख से ज्यादा लोग कार्यरत हैं ।
० टाटा कम्पनी अपने मुनाफ़े का ६६% चैरिटी में दान कर देते हैं ।
दोस्तों उम्मीद हैं कि आप रतन टाटा के विषय में कुछ जान गये होंगे, चलिए अब उस घटना के बारे में बात करते हैं जब रतन टाटा ने अपने अपमान का बदला अपने सफलता से दिया था।
बात उस समय की हैं जब टाटा कम्पनी ने १९९८ में टाटा इंडिगा कार पहली बार बाज़ार में निकाली थी , रतन टाटा का यह ड्रीम प्रोजेक्ट था इसके लिए उन्होंने बहुत मेहनत की थीं, लेकिन इंडिगा कार को मार्केट में अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला, जिसके कारण टाटा मोटर्स कुछ सालों में घाटे में जाने लगी थीं।
टाटा मोटर्स के साझेदारों ने रतन टाटा के कार व्यापार में हुए नुक़सान की पूर्ति के लिए \ कम्पनी को बेचने का सुझाव दिया। और ना चाहते हुए भी टाटा को यह काम करना पड़ रहा था।
वे अपने साझेदारों के साथ कम्पनी बेचने का प्रस्ताव फ़ोर्ड कंपनी के पास ले गये। जिसका मुख्य कार्यालय अमेरिका में हैं।
फ़ोर्ड कोंपनी के साथ टाटा की मीटिंग लगभग ३ घंटे चली, फ़ोर्ड के चेयरमैन बिल फ़ोर्ड ने रतन टाटा से बेहद बदसलूकी से व्यवहार किया, और बातों ही बातों में यह कहँ दिया कि जब तुम्हें इस बिज़नेस की जानकारी ही नहीं हैं तो तुमने इस कार को बनाने में इतना पैसा क्यूँ लगाया हम तुम्हारी कम्पनी को ख़रीद कर बस तुमपे अहसान कर रहे है।
बस यह बात रतन टाटा को दिल पे लग गई, वो रातों रात उस डील को छोड़ कर वापस आ गये , बिल फ़ोर्ड की उन बातों को रतन टाटा भुला नहीं पा रहे थे, वही बात उनको खाए जा रही थी। उसके बाद रतन टाटा ने अपनी कम्पनी किसी को ना बेचने का निश्चय किया।
उन्होंने अपनी पूरी जी जान लगा दी टाटा मोटर्स पे और देखते देखते कुछ ही समय में टाटा मोटर्स का मुनाफ़ा लय में आ गया, और वही फ़ोर्ड कंपनी नुकसान में जा रही थी। और सन २००८ तक दिवालिया होने के कगार पे थी।
उस समय रतन टाटा ने फ़ोर्ड के सामने उसकी लग्ज़री कार जगुआर, और लैंडरोवर को ख़रीदने का प्रस्ताव रखा, और बदले में फ़ोर्ड को अच्छा ख़ासा दाम देने को कहा। चूँकि बिल फोर्ड पहले ही  इन दोनो कर की वजह से घाटा झेल रहे थे, उन्होंने ये प्रस्ताव ख़ुशी ख़ुशी स्वीकार कर लिया। बिल फ़ोर्ड उसी तरह अपने साझेदारों के साथ टाटा के मुख्यालय पर पहुँचे जैसे रतन टाटा उनसे मिलने उनके मुख्यालय गए थे।
मीटिंग में यह तय हुआ के दोनो कार ९३ करोड़ में टाटा मोटर्स के अधीन होगा। बिल फ़ोर्ड ने फिर वही बात दोहराई जो उन्होंने पहले बोला था लेकिन इस बार बात थोड़ी पॉज़िटिव थी। बिल फ़ोर्ड ने कहा कि आप हमारी कम्पनी ख़रीद कर हम पर बहुत बड़ा अहसान कर रहे हैं। आज लैंडरोवर और जगुआर टाटा मोटर्स का हिस्सा हैं और बाज़ार में अच्छा मुनाफ़ा कमा रहीं हैं।
रतन टाटा अगर चाहते तो बिल फ़ोर्ड को करारा जवाब वही दे सकते थे, लेकिन टाटा अपने सफलता के नशे में चूर नहीं थे यहीं वो गुण हैं जो एक सफल और एक महान इंसान के बीच का अंतर दर्शाता हैं। 
जब व्यक्ति अपमानित होता हैं तो उसका परिणाम क्रोध होता हैं, लेकिन महान लोग अपने क्रोध को अपना हथियार मान कर अपने मंज़िल की ओर अग्रसर होते हैं

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